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"मन में मेरे उत्सव जैसा हो जाता है /ओमप्रकाश यती" के अवतरणों में अंतर

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मन  में  मेरे  उत्सव  जैसा हो जाता है
 
मन  में  मेरे  उत्सव  जैसा हो जाता है
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जब  आते  हैं  घर में  मेरे  माँ-बाबूजी  
 
जब  आते  हैं  घर में  मेरे  माँ-बाबूजी  
 
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21:30, 22 नवम्बर 2010 का अवतरण

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मन में मेरे उत्सव जैसा हो जाता है
तुमसे मिलकर खुद से मिलना हो जाता है

चिड़िया, तितली, फूल, सितारे, जुगनू सब हैं
लेकिन इनको देखे अर्सा हो जाता है

दिन छिपने तक तो रहता है आना-जाना
फिर गावों का रस्ता सूना हो जाता है

भीड़ बहुत ज़्यादा दिखती है यूँ देखो तो
लेकिन जब चल दो तो रस्ता हो जाता है

जब आते हैं घर में मेरे माँ-बाबूजी
मेरा मन फिर से इक बच्चा हो जाता है