भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"और हम ? / पंकज त्रिवेदी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=पंकज त्रिवेदी |संग्रह= }} Category: गुजराती भाषा {{KKCatKavit…)
 
 
पंक्ति 17: पंक्ति 17:
 
लोग तो पूजा करते हैं शिखर की
 
लोग तो पूजा करते हैं शिखर की
 
और हम...?
 
और हम...?
''मूल गुजराती भाषा से अनुवाद : स्वयं कवि'''
+
 
 +
'''मूल गुजराती भाषा से अनुवाद : स्वयं कवि'''
 
</poem>
 
</poem>

02:38, 24 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

हमारे
अहसासों की धरती पर
पल रहे हैं कुछ खट्टे-मीठे
सपने

जो मुखौटे को चीरकर
दिल की तलहटी में फलते हैं
 
लोग तो पूजा करते हैं शिखर की
और हम...?

मूल गुजराती भाषा से अनुवाद : स्वयं कवि