भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दोस्त बनकर बहुत छला है दोस्त / कुमार अनिल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Kumar anil (चर्चा | योगदान) |
Kumar anil (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 24: | पंक्ति 24: | ||
तो मेरे पास हौसला है दोस्त | तो मेरे पास हौसला है दोस्त | ||
− | माना विषधर है , पर है मेरा यार | + | माना विषधर है, पर है मेरा यार |
आस्तीं में मेरी पला है दोस्त | आस्तीं में मेरी पला है दोस्त | ||
20:58, 24 नवम्बर 2010 का अवतरण
{
दोस्त बनकर मुझे छला है दोस्त
बस यही सच बहुत खला है दोस्त
वो जो लगता है तुझको सबसे बुरा
सच कहूँ, शख़्स वो भला है दोस्त
ज़हर धरती का पी गया है क्या
चाँद जो आज साँवला है दोस्त
भूल जाऊँगा तुझको, चल माना
पर बड़ा सख़्त फ़ैसला है दोस्त
सिर्फ़ तू ही गुनाहगार नहीं
वक़्त ने भी बहुत छला है दोस्त
है तेरे पास ज़ुल्म की ताक़त
तो मेरे पास हौसला है दोस्त
माना विषधर है, पर है मेरा यार
आस्तीं में मेरी पला है दोस्त
इश्क़ मत करना मशवरा है तुझे
ये बहुत ही बुरी बला है दोस्त
नया सूरज ज़रूर निकलेगा देख
चाँद थक कर अभी ढला है दोस्त
आँधियों में जला रहा है चराग
ये अनिल कितना बावला है दोस्त