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"मरा हूँ हज़ार मरण / सूर्यकांत त्रिपाठी "निराला"" के अवतरणों में अंतर
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22:51, 28 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
मरा हूँ हजार मरण
पाई तब चरण-शरण ।
फैला जो तिमिर जाल
कट-कटकर रहा काल,
आँसुओं के अंशुमाल,
पड़े अमित सिताभरण ।
जल-कलकल-नाद बढ़ा
अन्तर्हित हर्ष कढ़ा,
विश्व उसी को उमड़ा,
हुए चारु-करण सरण ।