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"जल विरह / संतोष मायामोहन" के अवतरणों में अंतर
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14:32, 29 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
जब गिरती है बूँद
पृथ्वी तल
छम-छम नाचता है जल ।
हर्षित होती है बावड़ी
बरसने की आशा
जी उठता है जल
गर ना बरसे
तो सूक मरे
विरह ।
अनुवाद : नीरज दइया