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"जिनको इन राहों में फूल मिले / कुमार अनिल" के अवतरणों में अंतर
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जिनके पग में बस खार चुभे, पतझार के गीत सुनाते चले । | जिनके पग में बस खार चुभे, पतझार के गीत सुनाते चले । | ||
ये जीत के गीत सुनाते चले , वो हार के गीत सुनाते चले । | ये जीत के गीत सुनाते चले , वो हार के गीत सुनाते चले । | ||
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17:54, 30 नवम्बर 2010 का अवतरण
जिनको इन राहों में फूल मिले वो बहार के गीत सुनाते चले
जिनके पग में बस खार चुभे, पतझार के गीत सुनाते चले ।
ये जीत के गीत सुनाते चले , वो हार के गीत सुनाते चले ।
हमको तो तुम्हारा प्यार मिला, हम प्यार के गीत सुनाते चले।