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21:37, 30 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण
आग में आग डाल देते हैं
आओ ख़ूँ को उबाल देते हैं
दे गए जो हमें हमारे बुज़ुर्ग
हम तुम्हें वो मशाल देते हैं
चाँद जब माँगता है अपना जवाब
हम तुम्हारी मिसाल देते हैं
तोड़ने को घमंड सूरज का
एक दिया और बाल देते हैं
हमसे जो उम्र भर सुलझ न सका
लो तुम्हें वो सवाल देते हैं
अगले पल का यक़ीं नहीं मुझको
और वो कल पे टाल देते हैं
पानी ठहरा तो सड़ ही जाएगा
आओ इसको खंगाल देते हैं