भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कुमार अनिल
हर आँगन में दीप जला कर ख़ुश हो लेता हूँ
रस रास नहीं आता जब मुझको साथ सयानो का
बच्चों की दुनिया में आकर ख़ुश हो लेता हूँ
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,331
edits