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"कोनी चालै जोर / मदन गोपाल लढ़ा" के अवतरणों में अंतर

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थमो, थोड़ा ढ़बो
 
थमो, थोड़ा ढ़बो
 
बिरथा है जतन
 
बिरथा है जतन
कोनी चालै जोर सपनां माथै।
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कोनी चालै जोर सपनां माथै ।
 
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16:54, 1 दिसम्बर 2010 का अवतरण

मोकळी मांडो विगत
अणचावा सपनां री
कोनी चालै जोर
सपनां माथै
आवै ज्यूं ई आवै।
आप दांई
दुनियां रो हरेक मिनख
टाळणो चावै
डरावना सपनां
अर देखणो चावै
फगत अर फगत
मनभावतां सपनां
पण मेह, मौत अर सपनां ईं
अळघा है
बजार री जद सूं
नींतर घर अर मन तांई
पूगग्या उणरा हाथ
भाड़ै मिल जावै
कूख तकात।
थमो, थोड़ा ढ़बो
बिरथा है जतन
कोनी चालै जोर सपनां माथै ।