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"यह सूर के अंतर की झाँकी / कुमार अनिल" के अवतरणों में अंतर
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18:57, 4 दिसम्बर 2010 का अवतरण
यह सूर के अंतर की झाँकी,
           यह तुलसी का अरमान भी है ।
यह भूषण की ललकार भी है, 
           औ संत कबीर का ज्ञान भी है ।
है पन्त निराला का स्वप्न अगर 
            तो दिनकर का अभिमान भी है ।
हिंदी भाषा ही नहीं केवल, 
            यह भारत की पहचान भी है ।
 
	
	

