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बरसन लागी सावन बुन्दिया, प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया
चार महीना बरखा के आये, याद आवे तोहरी बतियां
प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया
चार महीना जाडा के बीते, तरपत बीती सगरी रतियां
प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया
चार महीना गरमी के लागे, अजहुं ना आये हमारे बलमा
प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया