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19:55, 4 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण

बरसन लागी सावन बुन्दिया, प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया

चार महीना बरखा के आये, याद आवे तोहरी बतियां

प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया

चार महीना जाडा के बीते, तरपत बीती सगरी रतियां

प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया

चार महीना गरमी के लागे, अजहुं ना आये हमारे बलमा

प्यारे बिन लागे न मोरी अंखिया