भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पुकारा जिन्होंने अरे वे वहम हैं / लाला जगदलपुरी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rajeevnhpc102 (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाला जगदलपुरी |संग्रह=मिमियाती ज़िन्दगी दहाड…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:15, 6 दिसम्बर 2010 का अवतरण
न तुम हो, न हम हैं
यहाँ भ्रम ही भ्रम हैं।
दिशाहीन राहें,
भटकते कदम हैं।
नहीं कोई ब्रम्हा,
कई क्रूर यम हैं।
मिले सर्जना को,
गलत कार्यक्रम हैं।
यहाँ श्रेष्ठता में,
पुरस्कृत अधम हैं।
किसी के भी दुखडे
किसी से न कम हैं।
पुकारा जिन्होंने,
अरे, वे वहम हैं।