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"आज जो आपको सुनानी है / कुमार अनिल" के अवतरणों में अंतर
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हमने दुनिया की ख़ाक छानी है | हमने दुनिया की ख़ाक छानी है | ||
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आज की रुत बहुत सुहानी है | आज की रुत बहुत सुहानी है | ||
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मेरी ग़ज़लों में दर्दे मुफ़लिस है | मेरी ग़ज़लों में दर्दे मुफ़लिस है | ||
− | कोई राजा न कोई रानी है | + | कोई राजा, न कोई रानी है |
फिर से महकेगा आज घर मेरा | फिर से महकेगा आज घर मेरा | ||
आज फिर याद उनकी आनी है | आज फिर याद उनकी आनी है | ||
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17:50, 6 दिसम्बर 2010 के समय का अवतरण
आज जो आपको सुनानी है
ज़िन्दगी की अजब कहानी है
तब मिले हैं ग़ज़ल के ये मोती
हमने दुनिया की ख़ाक छानी है
घर के बाहर निकल के देखो तो
आज की रुत बहुत सुहानी है
सौंधी ख़ुशबू से भर गया घर को
पहली बारिश का पहला पानी है
मेरी ग़ज़लों में दर्दे मुफ़लिस है
कोई राजा, न कोई रानी है
फिर से महकेगा आज घर मेरा
आज फिर याद उनकी आनी है