भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"राह से मिली राह / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=केदारनाथ अग्रवाल |संग्रह=कुहकी कोयल खड़े पेड़ …)
(कोई अंतर नहीं)

22:03, 7 दिसम्बर 2010 का अवतरण

राह से
मिली राह
बना चौराहा
जहाँ से हुआ
आवागमन-
चाहा-अनचाहा;
बल हो तो
कोई तोड़े
चौराहा,
और फिर सैर करे
नए देश की
नए तारों की
मौन धरे
सिर पर।

रचनाकाल: ०७-०३-१९७२