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♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
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रुणझूण पाखरा जा माझ्या माहिरा ।। हू हू ।।
तिथ घराचा दरवाजा । चंदनी लाकडाचा
पेशवाई थाटाचा । त्यावरी बैस जा ।। हू हू ।।
माझ्या माहिरा अंगणी । बघ फुलली निंबोणी
गोडी दारात पुरवणी । त्यावरी बैस जा ।। हू हू ।।
माझ्या माहिरीचा । त्यावरी बैस जा ।। हू हू ।।
माझ्या माहिरीचा । झोपाळा आल्याड बांधियला
फुलांनी गुंफियला । त्यावरी बैस जा ।। हू हू ।।
माझ्या माहिरी मायबाई । डोळे लावुनी वाट पाही
तिला खुशाली सांगाया जा । माझ्या माहिरी पाखरा जा ।। हू हू ।।