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[[Category:ग़ज़ल]]
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कुछ न किसी से बोलेंगे
तन्हाई में रो लेंगे
हम बेरहबरों का क्या
साथ किसी के हो लेंगे
कुछ न किसी से बोलेंगे<br>ख़ुद तो हुए रुसवा लेकिनतन्हाई में रो लेंगे<br><br>तेरे भेद न खोलेंगे
हम बेरहबरों का क्या <br>जीवन ज़हर भरा साग़रसाथ किसी के हो लेंगे<br><br>कब तक अमृत घोलेंगे
ख़ुद तो हुए रुसवा लेकिन<br>तेरे भेद न खोलेंगे<br><br> जीवन ज़हर भरा साग़र<br>कब तक अमृत घोलेंगे<br><br> नींद तो क्या आयेगी "फ़राज़"<br>मौत आई तो सो लेंगे<br><br/poem>
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