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लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई
क्या सानेहा<ref>्घटनाघटना</ref> याद आया ‘रज़्मी’ की तबाही का
क्यूँ आप की नाज़ुक सी आँखों में नमी आई
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