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चोका / ज्योत्स्ना शर्मा

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<poem>
'''1'''
सोन चिरैया
जब भी तुम गाओ
सखि, जीवन जी लो
अमृत बाँटो, पी लो!
 '''2'''
नई भोर-सी
दमकाती है मन