भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatGhazal}}
<poem>
फिर आ गयी है नयी योजना निमरा करे सवाल
जुगनू की दुम में रह-रह कर कैसे जले मशाल।
कर्ज़े की अर्जी देकर वो लाया फर्जी भैंस
ब्लाक, बैंक, पशु-अस्पताल वाले हैं मालामाल।
 
बहे दूध की नदी फ़ाइलों में बदला है मुल्क
गॉव-गाँव में सजें समूहों के विशाल पंडाल।
 
गरीबदास से हाथ मिलाया आज कलेक्टर ने
देखो-देखो टीवी, अख़बारों में नई मिसाल।
 
बड़ी-बड़ी स्कीमें आयीं, बड़े-बड़े अनुदान
सौ-सौ खाने वाले एक बेचारा बकरेलाल।
</poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits