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मद्य पीकर तो मत्त होते सब
सिर्फ़ कवि ही होता है अपने दम पर मत्त्त।
 
 
(मूल शीर्षक - वही, प्रकाशन-तिथि की सूचना अभी अप्राप्त)
'''मूल बंगला से अनुवाद : सुलोचना वर्मा और शिव किशोर तिवारी'''
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