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कहो हिन्दुस्ताँ की जय
कहो हिन्दुस्ताँ की जय
 
क़सम है ख़ून से सींचे हुए रंगी गुलिस्ताँ की ।
क़सम है ख़ूने दहकाँ की, क़सम ख़ूने शहीदाँ की ।
'''शब्दार्थ'''
तर्क : बन्दबर्क़ : बिजलीतेग : तलवारजौहरदार : पराक्रमीज़ीस्त : जीवनगीती : संसारलरज़ा बरअन्दाम : काँपकर सुन्न हो जानाशोरे महशर : कयामत के दिन का शोरख़ुरशीदे ख़ावर : चमकीला सूरज
</poem>
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