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{{KKRachna
|रचनाकार=फ़िराक़ गोरखपुरी
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एक पैगाम-ए-ज़िन्दगानी भीआशिकी मर्गे-नागहानी भी इस अदा का तेरी जवाब नहींमेहरबानी भी, सरगरानी भी दिल को अपने भी गम थे दुनिया मेंकुछ बलायें थी आसमानी भी मंसबे-दिल खुशी लुटाता हैगमे-पिन्हान भी, पासबानी भी दिल को शोलों से करती है सैराबज़िन्दगी आग भी है, पानी भी शादकामों को ये नहीं तौफ़ीक़दिले-गमगीं की शादमानी भी लाख हुस्न-ए-यकीं से बढकर हैइन निगाहों की बदगुमानी भी तंगना-ए-दिले-मलाल में हैदेहर-ए-हस्ती की बेकरानी भी इश्के-नाकाम की है परछाईशादमानी भी, कामरानी भी देख दिल के निगारखाने मेंज़ख्म-ए-पिन्हान की है निशानी भी खल्क क्या क्या मुझे नहीं कहतीकुछ सुनूं मैं तेरी जुबानी भी आये तारीक-ए-इश्क में सौ बारमौत के दौर दरमियानी भी अपनी मासूमियों के परदे मेंहो गई वो नजर सयानी भी दिन को सूरजमुखी है वो नौगुलरात को वो है रातरानी भी दिले-बदनाम तेरे बारे मेंलोग कहते हैं इक कहानी भी नज़्म करते कोई नयी दुनियाकि ये दुनिया हुई पुरानी भी दिल को आदाबे-बंदगी भी ना आयेकर गये लोग हुक्मरानी भी जौरे-कम कम का शुक्रिया बस हैआप की इतनी मेहरबानी भी दिल में एक हूक सी उठे ऐ दोस्तयाद आये तेरी जवानी भी सर से पा तक सुपुर्दगी की अदाएक अन्दाजे-तुर्कमानी भी पास रहना किसी का रात की रातमेहमानी भी, मेजबानी भी जो ना अक्स-ए-जबीं-ए-नाज की हैदिल में इक नूर-ए-कहकशानी भी ज़िन्दगी ऐन दीद-ए-यार ’फ़िराक़’ज़िन्दगी हिज़्र की कहानी भी '''मर्गे-नागहानी= अचानक मौत<br>''''''सरगरानी=गुस्सा मन्सब=मन्सूबा<br>''''''सैराब=भिगोना शादकाम=भाग्यवान लोग<br>''''''तौफ़ीक=काबिलियत शादमानी=खुशी<br>''''''तन्गामा-ए-दिले-मलाल=दुखी दिल के थोडे से हिस्से में<br>''''''देहर-ए-हस्ती=ज़िन्दगी का समन्दर बेकरानी=असन्ख्य<br>''''''कामरानी=सफ़लता निगारखाना=जहां बहुत लडकियां हों<br>''''''पिन्हान=छुपा हुआ खल्क=दुनिया तारीके-इश्क=मोहब्बत का इतिहास<br>''''''दौर=वक्त, समय दरमियानी=बीच में नौगुल=नया फ़ूल<br>''''''नज़्म=नया बनाना जौर=कहर पा=पांव सुपुर्दगी=समर्पण<br>''''''तुर्कमानी=विद्रोही अक्स-ए-जबीं-ए-नाज़=किसी प्यारे का चेहरा<br>''''''नूर=प्रकाश कहकशां=आकाश गंगा ऐन= असलियत में<br>'''</poem>