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{{KKRachna
|रचनाकार=फ़िराक़ गोरखपुरी
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[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>रात भी, नींद भी, कहानी भी<br>हाय, क्या चीज़ है जवानी भी<br><br>एक पैगाम-ए-ज़िन्दगानी भी<br>आशिकी मर्गे-नागहानी भी<br><br>इस अदा का तेरी जवाब नहीं<br>मेहरबानी भी, सरगरानी भी<br><br>दिल को अपने भी गम थे दुनिया में<br>कुछ बलायें थी आसमानी भी<br><br>मंसबे-दिल खुशी लुटाता है<br>गमे-पिन्हान भी, पासबानी भी<br><br>दिल को शोलों से करती है सैराब<br>ज़िन्दगी आग भी है, पानी भी<br><br>शादकामों को ये नहीं तौफ़ीक़<br>दिले-गमगीं की शादमानी भी<br><br>लाख हुस्न-ए-यकीं से बढकर है<br>इन निगाहों की बदगुमानी भी<br><br>तंगना-ए-दिले-मलाल में है<br>देहर-ए-हस्ती की बेकरानी भी<br><br>इश्के-नाकाम की है परछाई<br>शादमानी भी, कामरानी भी<br><br>देख दिल के निगारखाने में<br>ज़ख्म-ए-पिन्हान की है निशानी भी<br><br>खल्क क्या क्या मुझे नहीं कहती<br>कुछ सुनूं मैं तेरी जुबानी भी<br><br>आये तारीक-ए-इश्क में सौ बार<br>मौत के दौर दरमियानी भी<br><br>अपनी मासूमियों के परदे में<br>हो गई वो नजर सयानी भी<br><br>दिन को सूरजमुखी है वो नौगुल<br>रात को वो है रातरानी भी<br><br>दिले-बदनाम तेरे बारे में <br>लोग कहते हैं इक कहानी भी<br><br>नज़्म करते कोई नयी दुनिया<br>कि ये दुनिया हुई पुरानी भी<br><br>दिल को आदाबे-बंदगी भी ना आये<br>कर गये लोग हुक्मरानी भी<br><br>जौरे-कम कम का शुक्रिया बस है<br>आप की इतनी मेहरबानी भी<br><br>दिल में एक हूक सी उठे ऐ दोस्त<br>याद आये तेरी जवानी भी<br><br>सर से पा तक सुपुर्दगी की अदा<br>एक अन्दाजे-तुर्कमानी भी<br><br>पास रहना किसी का रात की रात<br>मेहमानी भी, मेजबानी भी<br><br>जो ना अक्स-ए-जबीं-ए-नाज की है<br>दिल में इक नूर-ए-कहकशानी भी<br><br>ज़िन्दगी ऐन दीद-ए-यार ’फ़िराक़’<br>ज़िन्दगी हिज़्र की कहानी भी<br><br>
एक पैगाम-ए-ज़िन्दगानी भीआशिकी मर्गे-नागहानी भी इस अदा का तेरी जवाब नहींमेहरबानी भी, सरगरानी भी दिल को अपने भी गम थे दुनिया मेंकुछ बलायें थी आसमानी भी मंसबे-दिल खुशी लुटाता हैगमे-पिन्हान भी, पासबानी भी दिल को शोलों से करती है सैराबज़िन्दगी आग भी है, पानी भी शादकामों को ये नहीं तौफ़ीक़दिले-गमगीं की शादमानी भी लाख हुस्न-ए-यकीं से बढकर हैइन निगाहों की बदगुमानी भी तंगना-ए-दिले-मलाल में हैदेहर-ए-हस्ती की बेकरानी भी इश्के-नाकाम की है परछाईशादमानी भी, कामरानी भी देख दिल के निगारखाने मेंज़ख्म-ए-पिन्हान की है निशानी भी खल्क क्या क्या मुझे नहीं कहतीकुछ सुनूं मैं तेरी जुबानी भी आये तारीक-ए-इश्क में सौ बारमौत के दौर दरमियानी भी अपनी मासूमियों के परदे मेंहो गई वो नजर सयानी भी दिन को सूरजमुखी है वो नौगुलरात को वो है रातरानी भी दिले-बदनाम तेरे बारे मेंलोग कहते हैं इक कहानी भी नज़्म करते कोई नयी दुनियाकि ये दुनिया हुई पुरानी भी दिल को आदाबे-बंदगी भी ना आयेकर गये लोग हुक्मरानी भी जौरे-कम कम का शुक्रिया बस हैआप की इतनी मेहरबानी भी दिल में एक हूक सी उठे ऐ दोस्तयाद आये तेरी जवानी भी सर से पा तक सुपुर्दगी की अदाएक अन्दाजे-तुर्कमानी भी पास रहना किसी का रात की रातमेहमानी भी, मेजबानी भी जो ना अक्स-ए-जबीं-ए-नाज की हैदिल में इक नूर-ए-कहकशानी भी ज़िन्दगी ऐन दीद-ए-यार ’फ़िराक़’ज़िन्दगी हिज़्र की कहानी भी '''मर्गे-नागहानी= अचानक मौत<br>''''''सरगरानी=गुस्सा मन्सब=मन्सूबा<br>''''''सैराब=भिगोना शादकाम=भाग्यवान लोग<br>''''''तौफ़ीक=काबिलियत शादमानी=खुशी<br>''''''तन्गामा-ए-दिले-मलाल=दुखी दिल के थोडे से हिस्से में<br>''''''देहर-ए-हस्ती=ज़िन्दगी का समन्दर बेकरानी=असन्ख्य<br>''''''कामरानी=सफ़लता निगारखाना=जहां बहुत लडकियां हों<br>''''''पिन्हान=छुपा हुआ खल्क=दुनिया तारीके-इश्क=मोहब्बत का इतिहास<br>''''''दौर=वक्त, समय दरमियानी=बीच में नौगुल=नया फ़ूल<br>''''''नज़्म=नया बनाना जौर=कहर पा=पांव सुपुर्दगी=समर्पण<br>''''''तुर्कमानी=विद्रोही अक्स-ए-जबीं-ए-नाज़=किसी प्यारे का चेहरा<br>''''''नूर=प्रकाश कहकशां=आकाश गंगा ऐन= असलियत में<br>'''</poem>
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