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Kavita Kosh से
|रचनाकार=आरज़ू लखनवी
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ज़माने से नाज़ अपने उठवानेवाले।
मुहब्बत नहीं, आग से खेलना है।
लगाना पड़ेगा, बुझाना पड़ेगा॥
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