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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार: [[=तेजेन्द्र शर्मा]][[Category:कविताएँ]]}}[[Category:तेजेन्द्र शर्मा]]<poem>ऐ इस देश के बनने वाले भविष्यकाश!मैं तुम्हेंअपने देश के बनने वाला भविष्यकह पाता! और मिलता मुझेसुकून! शांति ! और सुख!
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~उठो इस देश के भविष्यऔर वस्तुःस्थिति को पहचानोअब तुम्हें उठाना हैपढ़ाई के अतिरिक्तऔर भी एक बोझ!यह मज़दूर की सरकार हैमज़दूर को बोझा ढोना, आना ही चाहियेमज़दूर की सरकार का हुक्म हैतुम्हें पढ़ाई के लिये उठाना होगा और भी अधिक कर्ज़यही है तुम्हारा फ़र्ज़
ऐ इस देश के बनने वाले भविष्य<br>पहले महंगा हुआ पेट्रोलकाश!<br>फिर पार्किंगमैं तुम्हें<br>सुपर मार्केट हुईअपने देश सुपर महंगीअब मकानों को देखने के बनने वाला भविष्य<br>कह पाता! और मिलता मुझे<br>भी लगेंगे दामसुकून! शांति ! और सुखहे राम !<br><br>
उठो इस देश के भविष्य<br>और वस्तुःस्थिति को पहचानो<br>अब तुम्हें उठाना है<br>पढ़ाई के अतिरिक्त<br>और भी एक बोझ!<br>यह मज़दूर की सरकार है<br>मज़दूर को <br>बोझा ढोना, आना ही चाहिये<br>मज़दूर की सरकार का हुक्म है<br>तुम्हें पढ़ाई के लिये <br>उठाना होगा <br>और भी अधिक कर्ज़<br>यही है तुम्हारा फ़र्ज़<br><br> पहले महंगा हुआ पेट्रोल<br>फिर पार्किंग<br>सुपर मार्केट हुई<br>सुपर महंगी<br>अब मकानों को देखने के<br>भी लगेंगे दाम<br>हे राम !<br><br> इस देश के बनने वाले भविष्य<br>का वर्तमान<br>घमासान ! परेशान !<br>बोझा उठाओ, जुट जाओ<br>देखना<br>कहीं कमर ना मुड़ जाए<br>भविष्य कहीं<br>कुबड़ा न हो जाए !<br><br/poem>
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