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|रचनाकार=ख़ुमार बाराबंकवी
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<poem>
वो हमें जिस कदर आज़माते रहे
अल्लमा लफ़्जिशे यक तब्बसुम "खुमार"
ज़िन्दगी भर हम आँसू बहाते रहे
</poem>
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