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शरारत / गुलज़ार

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|रचनाकार=गुलज़ार
|संग्रह = पुखराज / गुलज़ार
}} {{KKCatNazm}}
<poem>
आओ तुमको उठा लूँ कंधों पर
तुम उचककर शारीर शरीर होठों से चूम लेना
चूम लेना ये चाँद का माथा
आज की रात देखा ना तुमने
कैसे झुक-झुकके झुक के कोहनियों के बल
चाँद इतना करीब आया है
</poem>