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गरीबी से रईसों की सजी महफ़िल तक आ पहुँचा
कुँए, तालाब के किस्से तो देहातों में होते थे
ये सूखा मस-अ-ला क्यों शहर के साहिल तक आ पहुँचा<poem/poem>