भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आने वाले दिनों में क्या होगा.. / श्रद्धा जैन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो (कल है क्या होगा / श्रद्धा जैन का नाम बदलकर कुर्बतें या कि फासला होगा / श्रद्धा जैन कर दिया गया है) |
छो (Shrddha moved page कुर्बतें या कि फासला होगा / श्रद्धा जैन to आने वाले दिनों में क्या होगा.. / श्रद्धा जैन) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
<poem> | <poem> | ||
आने वाले दिनों में क्या होगा | आने वाले दिनों में क्या होगा | ||
− | + | देख लेंगे, जो हौसला होगा | |
− | आज | + | आज जी भर के उसको रोने दो |
− | + | खुद से मिलना था मिल लिया होगा | |
+ | फूल में ताज़गी ग़ज़ब की है | ||
+ | जल्द ही शाख़ से जुदा होगा | ||
+ | |||
जिंदगी तू जो हार जायेगी | जिंदगी तू जो हार जायेगी | ||
मौत को इससे हौसला होगा | मौत को इससे हौसला होगा | ||
− | + | सबको दुश्मन बना लिया मैंने | |
− | + | कोई मुझसा भी सिरफिरा होगा | |
− | + | ||
− | + | ||
− | कोई | + | |
</poem> | </poem> |
21:03, 8 जुलाई 2013 के समय का अवतरण
आने वाले दिनों में क्या होगा
देख लेंगे, जो हौसला होगा
आज जी भर के उसको रोने दो
खुद से मिलना था मिल लिया होगा
फूल में ताज़गी ग़ज़ब की है
जल्द ही शाख़ से जुदा होगा
जिंदगी तू जो हार जायेगी
मौत को इससे हौसला होगा
सबको दुश्मन बना लिया मैंने
कोई मुझसा भी सिरफिरा होगा