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सोनो, चांदी, हीरा, पन्ना
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फकत मर्योड़ी माटी!
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आं रै लारै फिरै भागतो
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मिनख हुयोड़ो गैलो,
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नाख देख ल्यो बीज, कदेई-
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आं में नहीं उगैलो,
  
कोनी
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संजीवण स्यूं हीण, भरै क्यूं
माटी स्यूं
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देखादेखी छाटी ?
मोटी कोई साच,
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जका ठगोरा रै झूठ्यांई
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आं रो मोल बधायो,
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एक धूळ री मुट्ठी रो है
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आं स्यूं मान सवायो,
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चालै जिण रै संवेदन स्यूं
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सिसटी री परिपाटी!
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आंख थकां थे आंधा बण क्यूं
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थां रो भरम गमावो!
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थे माटी रा जायोड़ा हो
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माटी रा गुण गावो,
  
सगला
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आ परतख परमेसर देखो
तत
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खोल हियै री पाटी !
माटी रै पाण
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सत,
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नही‘स
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कुण अणभूतै
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बां रो हूणों ?
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निरथक हो
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सूरज रो तपणो
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आभै रो धूणो !
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कोनी लादतो
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चिड़कली पून नै
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कठेई आळो,
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किंयां टिकता
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बिन्यां पींदै
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समदर‘र हियांलो ?
+
 
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बणगी माटी
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सिसटी रो काच,
+
कोनी माटी स्यूं
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मोटी
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कोई साच !
+
 
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17:00, 21 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

सोनो, चांदी, हीरा, पन्ना
फकत मर्योड़ी माटी!
आं रै लारै फिरै भागतो
मिनख हुयोड़ो गैलो,
नाख देख ल्यो बीज, कदेई-
आं में नहीं उगैलो,

संजीवण स्यूं हीण, भरै क्यूं
देखादेखी छाटी ?
जका ठगोरा रै झूठ्यांई
आं रो मोल बधायो,
एक धूळ री मुट्ठी रो है
आं स्यूं मान सवायो,
चालै जिण रै संवेदन स्यूं
सिसटी री परिपाटी!
आंख थकां थे आंधा बण क्यूं
थां रो भरम गमावो!
थे माटी रा जायोड़ा हो
माटी रा गुण गावो,

आ परतख परमेसर देखो
खोल हियै री पाटी !