भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चौदहवीं रात के इस चाँद तले/ गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलज़ार }} {{KKCatNazm}} <poem> चौदहवीं रात के इस चाँद तले सुर…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=गुलज़ार | |रचनाकार=गुलज़ार | ||
− | }} | + | }}{{KKAnthologyChand}} |
+ | {{KKCatKavita}} | ||
{{KKCatNazm}} | {{KKCatNazm}} | ||
+ | {{KKAnthologyLove}} | ||
<poem> | <poem> | ||
चौदहवीं रात के इस चाँद तले | चौदहवीं रात के इस चाँद तले | ||
− | सुरमई रात में साहिल के | + | सुरमई रात में साहिल के क़रीब |
− | + | दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू | |
− | ईसा के हाथ से गिर | + | ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब |
− | बुद्ध का ध्यान चटख | + | बुद्ध का ध्यान चटख जाए ,कसम से |
तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी | तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी | ||
− | + | दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू | |
चौदहवीं रात के इस चाँद तले ! | चौदहवीं रात के इस चाँद तले ! | ||
</Poem> | </Poem> |
12:24, 15 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
चौदहवीं रात के इस चाँद तले
सुरमई रात में साहिल के क़रीब
दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू
ईसा के हाथ से गिर जाए सलीब
बुद्ध का ध्यान चटख जाए ,कसम से
तुझ को बर्दाश्त न कर पाए खुदा भी
दूधिया जोड़े में आ जाए जो तू
चौदहवीं रात के इस चाँद तले !