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"रेत के विस्तार में / नवनीत पाण्डे" के अवतरणों में अंतर

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<poem>रेत के विस्तार में
 
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रहा निरंतर खोजता
 
रहा निरंतर खोजता

04:02, 21 मई 2011 के समय का अवतरण

रेत के विस्तार में
रहा निरंतर खोजता
एक और आदमी
रेत कांपी, हिली, उलटी
उगल दिए रेत ने
आदमी ही आदमी
सो रहे थे जाने कब से
रेत के आगोश में
रेत के विस्तार में