भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बसंत आगमन / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल }} {{KKCatKavita}} <poem> देखो पादप हुए …) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल | |रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल | ||
− | }} | + | }}{{KKAnthologyBasant}} |
− | {{ | + | {{KKCatKavita}} |
<poem> | <poem> | ||
देखो पादप हुए नए फिर, | देखो पादप हुए नए फिर, |
18:42, 28 मार्च 2011 के समय का अवतरण
देखो पादप हुए नए फिर,
मन में पतझड़ की आस लिए ।
नई कोपलियों संग देखो,
नव उमंग, तरंग, विश्वास लिए ।।
कोयल की मधुर कूक से,
स्वागत का है संगीत बजा ।
प्रकृति की सुनहरी थाली में,
बहुरंगी पुष्पों का प्यार सजा ।।
जीर्ण-शीर्ण पातों को त्यागे,
पादप फिर से रंगीन हुए ।
भारत माता के अभिनंदन को,
परिधान रेशमी लिए हुए ।
आओ मिलकर हम भी बदलें,
अपने रूढ़ बैर, विचारों को ।
कुछ शिक्षा लें इस प्रकृति से,
अपनाकर श्रद्धा और विश्वासों को ।