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"सरज़मीने-यास / साहिर लुधियानवी" के अवतरणों में अंतर

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जीने से दिल बेज़ार है
 
जीने से दिल बेज़ार है
 
 
हर सांस एक आज़ार है  
 
हर सांस एक आज़ार है  
 
  
 
कितनी हज़ीं है ज़िंदगी
 
कितनी हज़ीं है ज़िंदगी
 
 
अंदोह-गीं है ज़िंदगी
 
अंदोह-गीं है ज़िंदगी
 
  
 
वी बज़्मे-अहबाबे-वतन
 
वी बज़्मे-अहबाबे-वतन
 
 
वी हमनवायाने-सुखन
 
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आते हैं जिस दम याद अब  
 
आते हैं जिस दम याद अब  
 
 
करते हैं दिल नाशाद अब
 
करते हैं दिल नाशाद अब
 
  
 
गुज़री हुई रंगीनियां
 
गुज़री हुई रंगीनियां
 
 
खोई हुई दिलचस्पियां
 
खोई हुई दिलचस्पियां
 
  
 
पहरों रुलाती हैं मुझे
 
पहरों रुलाती हैं मुझे
 
 
अक्सर सताती हैं मुझे
 
अक्सर सताती हैं मुझे
 
  
 
वो जामजमे वो चह्चहे
 
वो जामजमे वो चह्चहे
 
 
वो रूह-अफ़ज़ा कहकहे
 
वो रूह-अफ़ज़ा कहकहे
 
  
 
जब दिल को मौत आई न थी
 
जब दिल को मौत आई न थी
 
 
यूं बेहिसी छाई न थी
 
यूं बेहिसी छाई न थी
 
  
 
वो नाज़नीनाने-वतन
 
वो नाज़नीनाने-वतन
 
 
ज़ोहरा- ज़बीनाने-वतन
 
ज़ोहरा- ज़बीनाने-वतन
 
  
 
जिन मे से एक रंगीं कबा
 
जिन मे से एक रंगीं कबा
 
 
आतिश-नफ़स आतिश-नवा
 
आतिश-नफ़स आतिश-नवा
 
  
 
करके मोहब्बत आशना
 
करके मोहब्बत आशना
 
 
रंगे अकीदत आशना
 
रंगे अकीदत आशना
 
  
 
मेरे दिले नाकाम को  
 
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खूं-गश्ता-ए-आलाम को
 
खूं-गश्ता-ए-आलाम को
 
  
 
दागे-ज़ुदाई दे गई
 
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सारी खुदाई ले गई
 
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उन साअतों की याद मे  
 
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उन राहतों की याद मे  
 
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मरमूम सा रहता हूं मैं
 
मरमूम सा रहता हूं मैं
 
 
गम की कसक सहता हूं मैं
 
गम की कसक सहता हूं मैं
 
  
 
सुनता हूं जब अहबाब से  
 
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किस्से गमे-अय्याम के  
 
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बेताब हो जाता हूं मैं  
 
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आहों मे खो जाता हूं मैं
 
आहों मे खो जाता हूं मैं
 
  
 
फ़िर वो अज़ीज़-ओ-अकरबा
 
फ़िर वो अज़ीज़-ओ-अकरबा
 
 
जो तोड कर अहदे-वफ़ा
 
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अहबाब से मुंह मोड कर
 
अहबाब से मुंह मोड कर
 
 
दुनिया से रिश्ता तोड कर  
 
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हद्दे-उफ़ से उस तरफ़
 
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रंगे-शफ़क से उस तरफ़
 
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एक वादी-ए-खामोश की
 
एक वादी-ए-खामोश की
 
 
एक आलमे-बेहोश की
 
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गहराइयों मे सो गये
 
गहराइयों मे सो गये
 
 
तारिकियों मे खो गये  
 
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उन का तसव्वुर नागाहां
 
उन का तसव्वुर नागाहां
 
 
लेता है दिल में चुटकियां
 
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और खूं रुलाता है मुझे
 
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बेकल बनाता है मुझे
 
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वो गांव की हमजोलियां
 
वो गांव की हमजोलियां
 
 
मफ़लूक दहकां-ज़ादियां
 
मफ़लूक दहकां-ज़ादियां
 
  
 
जो दस्ते-फ़र्ते-यास से
 
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और यूरिशे-इफ़लास से
 
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इस्मत लुटाकर रह गई
 
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खुद को गंवा कर रह गई
 
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गमगीं जवानी बन गई
 
गमगीं जवानी बन गई
 
 
रुसवा कहानी बन गई
 
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उनसे कभी गलियों मे जब  
 
उनसे कभी गलियों मे जब  
 
 
होता हूं मैं दोचार जब
 
होता हूं मैं दोचार जब
 
  
 
नज़रें झुका लेता हूं मैं  
 
नज़रें झुका लेता हूं मैं  
 
 
खुद को छुपा लेता हूं मैं
 
खुद को छुपा लेता हूं मैं
 
  
 
कितनी हज़ीं है ज़िदगी
 
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अन्दोह-गीं है ज़िंदगी
 
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13:11, 6 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

जीने से दिल बेज़ार है
हर सांस एक आज़ार है

कितनी हज़ीं है ज़िंदगी
अंदोह-गीं है ज़िंदगी

वी बज़्मे-अहबाबे-वतन
वी हमनवायाने-सुखन

आते हैं जिस दम याद अब
करते हैं दिल नाशाद अब

गुज़री हुई रंगीनियां
खोई हुई दिलचस्पियां

पहरों रुलाती हैं मुझे
अक्सर सताती हैं मुझे

वो जामजमे वो चह्चहे
वो रूह-अफ़ज़ा कहकहे

जब दिल को मौत आई न थी
यूं बेहिसी छाई न थी

वो नाज़नीनाने-वतन
ज़ोहरा- ज़बीनाने-वतन

जिन मे से एक रंगीं कबा
आतिश-नफ़स आतिश-नवा

करके मोहब्बत आशना
रंगे अकीदत आशना

मेरे दिले नाकाम को
खूं-गश्ता-ए-आलाम को

दागे-ज़ुदाई दे गई
सारी खुदाई ले गई

उन साअतों की याद मे
उन राहतों की याद मे

मरमूम सा रहता हूं मैं
गम की कसक सहता हूं मैं

सुनता हूं जब अहबाब से
किस्से गमे-अय्याम के

बेताब हो जाता हूं मैं
आहों मे खो जाता हूं मैं

फ़िर वो अज़ीज़-ओ-अकरबा
जो तोड कर अहदे-वफ़ा

अहबाब से मुंह मोड कर
दुनिया से रिश्ता तोड कर

हद्दे-उफ़ से उस तरफ़
रंगे-शफ़क से उस तरफ़

एक वादी-ए-खामोश की
एक आलमे-बेहोश की

गहराइयों मे सो गये
तारिकियों मे खो गये

उन का तसव्वुर नागाहां
लेता है दिल में चुटकियां

और खूं रुलाता है मुझे
बेकल बनाता है मुझे

वो गांव की हमजोलियां
मफ़लूक दहकां-ज़ादियां

जो दस्ते-फ़र्ते-यास से
और यूरिशे-इफ़लास से

इस्मत लुटाकर रह गई
खुद को गंवा कर रह गई

गमगीं जवानी बन गई
रुसवा कहानी बन गई

उनसे कभी गलियों मे जब
होता हूं मैं दोचार जब

नज़रें झुका लेता हूं मैं
खुद को छुपा लेता हूं मैं

कितनी हज़ीं है ज़िदगी
अन्दोह-गीं है ज़िंदगी