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"डूब गया मैं यार किनारे पर वादों की कश्ती में / सिराज फ़ैसल ख़ान" के अवतरणों में अंतर

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डूब गया मैँ यार किनारे पर वादोँ की कश्ती मेँ
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डूब गया मैं यार किनारे पर वादों  की कश्ती में
और ज़माना कहता है कि डूबा हूँ मैँ मस्ती मेँ
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और ज़माना कहता है कि डूबा हूँ मैं मस्ती में 
  
ठीक से पढ़ भी नहीँ सका और भीग गईं आँखेँ मेरी
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ठीक से पढ़ भी नहीं सका और भीग गईं आँखें मेरी
मीर को रख कर भेज दिया है ग़ालिब ने इक चिठ्ठी मेँ।
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मीर को रख कर भेज दिया है ग़ालिब ने इक चिठ्ठी में ।
  
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस मेँ सब भाई हैँ
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हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में सब भाई हैं
सरकारी ऐलान हुआ है आज हमारी बस्ती मेँ
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सरकारी ऐलान हुआ है आज हमारी बस्ती में
  
 
रोज़ कमीशन लग के वेतन बढ़ जाता है अफ़सर का
 
रोज़ कमीशन लग के वेतन बढ़ जाता है अफ़सर का
और ग़रीबी पिसती जाती मंहगाई की चक्की मेँ
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और ग़रीबी पिसती जाती मंहगाई की चक्की में 
 
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17:41, 17 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

डूब गया मैं यार किनारे पर वादों की कश्ती में
और ज़माना कहता है कि डूबा हूँ मैं मस्ती में ।

ठीक से पढ़ भी नहीं सका और भीग गईं आँखें मेरी
मीर को रख कर भेज दिया है ग़ालिब ने इक चिठ्ठी में ।

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में सब भाई हैं
सरकारी ऐलान हुआ है आज हमारी बस्ती में ।

रोज़ कमीशन लग के वेतन बढ़ जाता है अफ़सर का
और ग़रीबी पिसती जाती मंहगाई की चक्की में ।