"कंकड-पत्थर का परिचय / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर
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− | कवि की यह कवितायंे 1935 से 1940 के मध्य की हैं। | + | यह संकलन जिसमें कवि की '''70 कविताऐं''' संकलित हैं। |
− | कविताओं का क्रम इस प्रकार हैः- कंकड-पत्थर, छुरी, बांस का लट्ठ, कांटा, अंधी, योग्य बनो, कितना आसान, अल्लाह की जबान, गधा, गधे के प्रति, ब्रिटेन के प्रति, अमेरिका के प्रति, सवर्णों के प्रति, विजया दशमी, ग्रहण, पुण्य स्थान, राम-नाम की गोलियां, यह लखनऊ, दो छतर मंजिल, मोहनजोदाडो, कवि-पशु, बंगाल का दुर्भिक्ष, मक्खियां, खटमल विलाप, लोहित-रस पूजा, मैकाले के खिलौने, सारनाथ स्तूप, घराट, भूखे किसान, ओ स्वदेश, असहृय धौंस, चरैवैति-चरैवैति, चोट, पूरा देखो, बदला जमाना, मृत-मृतक, मैं मर गया, मानव हूं मैं, आज अपनी देख सूरत, रूग्ण द्रुम, सहारा, टूटा हृदय,मित्र या बैरिन, तेरा रूप, रहस्य, अन्तिम रात, अवसान, क्षयरोग, कोई हो साथ, तारा-पात, यह पादप, शुष्क शिशिर, विधाता, क्यों आये, इतनी दुखी, ज्योत्सना, देव-प्रिय, मेरी जबान, उस वन में, संबल, तो बतलाना, हिमालय, राजत चोटियां, नारी, अभागिनी, मेरी इच्छा- ये, जब लोग, अब जो कुछ दोगे, और अंतिम कविता नहिं कल्याण कृत करिश्चत्, है। | + | |
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13:53, 6 मार्च 2011 के समय का अवतरण
‘कंकड-पत्थर ’का परिचय
यह संकलन जिसमें कवि की 70 कविताऐं संकलित हैं।
कवि की यह कवितायंे 1935 से 1940 के मध्य की हैं।
कविताओं का क्रम इस प्रकार हैः-
कंकड-पत्थर, छुरी, बांस का लट्ठ, कांटा, अंधी, योग्य बनो, कितना आसान, अल्लाह की जबान, गधा, गधे के प्रति, ब्रिटेन के प्रति, अमेरिका के प्रति, सवर्णों के प्रति, विजया दशमी, ग्रहण, पुण्य स्थान, राम-नाम की गोलियां, यह लखनऊ, दो छतर मंजिल, मोहनजोदाडो, कवि-पशु, बंगाल का दुर्भिक्ष, मक्खियां, खटमल विलाप, लोहित-रस पूजा, मैकाले के खिलौने, सारनाथ स्तूप, घराट, भूखे किसान, ओ स्वदेश, असहृय धौंस, चरैवैति-चरैवैति, चोट, पूरा देखो, बदला जमाना, मृत-मृतक, मैं मर गया, मानव हूं मैं, आज अपनी देख सूरत, रूग्ण द्रुम, सहारा, टूटा हृदय,मित्र या बैरिन, तेरा रूप, रहस्य, अन्तिम रात, अवसान, क्षयरोग, कोई हो साथ, तारा-पात, यह पादप, शुष्क शिशिर, विधाता, क्यों आये, इतनी दुखी, ज्योत्सना, देव-प्रिय, मेरी जबान, उस वन में, संबल, तो बतलाना, हिमालय, राजत चोटियां, नारी, अभागिनी, मेरी इच्छा- ये, जब लोग, अब जो कुछ दोगे, और अंतिम कविता नहिं कल्याण कृत करिश्चत्, है। (अशोक कुमार शुक्ला द्वारा संकलित)