भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जीतू का परिचय / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल  
 
|रचनाकार= चन्द्रकुंवर बर्त्वाल  
 +
|संग्रह=जीतू / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita}}
 
{{KKCatKavita}}
 
<poem>
 
<poem>
'''‘जीतू ’का  परिचय '''  
+
यह संकलन अगस्त 1951 में प्रकाशित हुआ जिसमें कवि की '''100 कविताएँ''' संकलित हैं।
  
यह संकलन अगस्त 1951 में संपादित कर प्रकाशित  हुआ  है जिसमें कवि की '''100 कविताऐं''' संकलित हैं।
+
कवि की ये कविताएँ 1935 से 1940 के मध्य की हैं।
 
+
कवि की यह कवितायंे 1935 से 1940 के मध्य की हैं।
+
 
   
 
   
कविताओं का क्रम इस प्रकार हैः-
+
कविताओं का क्रम इस प्रकार है :-
  
देवदार वन, देापहरी, दिनान्त, ज्योति ओंकार, तापस(हिमालय)यज्ञ भूमि, जयशंख, करूण स्वर, ऐसा यौवन, प्राण कोकिल, रितु पति, बसन्तगीत, यौवन कूक, जीवन वल्लरी बासन्ती संध्या, बसंत ध्वनि(कफफू), अंजली वर्षा(सुनधन),रंक पूर्व, हिम प्रवासी, जमुना में, पारस मणि, परस स्पर्श, कुछ दिन बाद, चीडों कैनीवै, कविता कीर्ति, मानसी , रूपघटा, जीवन किरण, विकल बांसुरी, हम बैठे, भाग्य सदन, शहनाइया,दैत्यां भरी, विनय कर रही,दुख का स्वागत, हृदय ज्योति, छोटी चिंगारी,अलकनंदा, हिमालय(कटि पर), जाग्रता,कंठ तक, अभी भी है, शेष मुझ में, मिले तो तुम, मृत्यु सुंदरी, श्यैले -प्रेम-दर्शन,किसने रूलाया, अब प्रभात, साथ मेरे स्वर्ग रचना, शोक न कर, साहस को, कर्म वेदी, नूरजहॉ, सो न रह,हेमन्त, शरद में मृत्यु, वर्षा छवि,मंध-चातक, गुंथा संशय, दो आंसू, मैं न देख सका, हो गया जो, एक दिन था, किन्नर(जीतू),स्वर्ण किन्नरी, मसूरी, देहरादून, वनदेवी, जगजननी, वन देवता, देहरास्मृति,भाृतृ-द्वितीया, राखी, अंतर की मुरली, अममृत निर्झर, सफलता रहस्य, शैशव स्मृति,शंभू के प्रति कुंवरी स्मृति,सुन्दरी आई, अछरियां, गिरि वर, मंधदूत, ज्योतिधान, मैं ही अकेला, किन्नरियां, कविते, जीवन वन, पवि वर्षण,स्वप्न में मां,विदाई, मेरे लिये, मंदाकिनी, और इस संकलन की अंतिम कविता जीतू है जो सबसे लंबी कविता (324 पंक्तियां) भी है।
+
देवदार वन, दोपहरी, दिनान्त, ज्योति ओंकार, तापस(हिमालय)यज्ञ भूमि, जयशंख, करूण स्वर, ऐसा यौवन, प्राण कोकिल, रितु पति, बसन्तगीत, यौवन कूक, जीवन वल्लरी बासन्ती संध्या, बसंत ध्वनि(कफ्फू), अंजली वर्षा(सुनधन), रंक पूर्व, हिम प्रवासी, जमुना में, पारस मणि, परस स्पर्श, कुछ दिन बाद, चीड़ों के नीचे, कविता कीर्ति, मानसी , रूपघटा, जीवन किरण, विकल बाँसुरी, हम बैठे, भाग्य सदन, शहनाइयाँ, दैत्यों भरी, विनय कर रही, दुख का स्वागत, हृदय ज्योति, छोटी चिंगारी, अलकनंदा, हिमालय(कटि पर), जाग्रता, कंठ तक, अभी भी है, शेष मुझ में, मिले तो तुम, मृत्यु-सुंदरी, श्यैले-प्रेम-दर्शन,किसने रूलाया, अब प्रभात, साथ मेरे स्वर्ग रचना, शोक न कर, साहस को, कर्म वेदी, नूरजहॉ, सो न रह, हेमन्त, शरद में मृत्यु, वर्षा छवि,मंध-चातक, गुँथा संशय, दो आँसू, मैं न देख सका, हो गया जो, एक दिन था, किन्नर(जीतू), स्वर्ण किन्नरी, मसूरी, देहरादून, वनदेवी, जगजननी, वन देवता, देहरास्मृति,भ्रातृ-द्वितीया, राखी, अंतर की मुरली, अमृत निर्झर, सफलता रहस्य, शैशव स्मृति, शंभू के प्रति कुंवरी स्मृति, सुन्दरी आई, अछरियाँ, गिरि वर, मेघदूत, ज्योतिधान, मैं ही अकेला, किन्नरियाँ, कविते, जीवन वन, पवि वर्षण, स्वप्न में माँ, विदाई, मेरे लिए, मंदाकिनी, और इस संकलन की अंतिम कविता 'जीतू' है जो सबसे लंबी कविता (324 पंक्तियाँ) भी है ।
 +
(यह जानकारी अशोक कुमार शुक्ला द्वारा संकलित की गई है)
 
</poem>
 
</poem>

21:37, 7 मार्च 2011 के समय का अवतरण

यह संकलन अगस्त 1951 में प्रकाशित हुआ जिसमें कवि की 100 कविताएँ संकलित हैं।

कवि की ये कविताएँ 1935 से 1940 के मध्य की हैं।
 
कविताओं का क्रम इस प्रकार है :-

देवदार वन, दोपहरी, दिनान्त, ज्योति ओंकार, तापस(हिमालय)यज्ञ भूमि, जयशंख, करूण स्वर, ऐसा यौवन, प्राण कोकिल, रितु पति, बसन्तगीत, यौवन कूक, जीवन वल्लरी बासन्ती संध्या, बसंत ध्वनि(कफ्फू), अंजली वर्षा(सुनधन), रंक पूर्व, हिम प्रवासी, जमुना में, पारस मणि, परस स्पर्श, कुछ दिन बाद, चीड़ों के नीचे, कविता कीर्ति, मानसी , रूपघटा, जीवन किरण, विकल बाँसुरी, हम बैठे, भाग्य सदन, शहनाइयाँ, दैत्यों भरी, विनय कर रही, दुख का स्वागत, हृदय ज्योति, छोटी चिंगारी, अलकनंदा, हिमालय(कटि पर), जाग्रता, कंठ तक, अभी भी है, शेष मुझ में, मिले तो तुम, मृत्यु-सुंदरी, श्यैले-प्रेम-दर्शन,किसने रूलाया, अब प्रभात, साथ मेरे स्वर्ग रचना, शोक न कर, साहस को, कर्म वेदी, नूरजहॉ, सो न रह, हेमन्त, शरद में मृत्यु, वर्षा छवि,मंध-चातक, गुँथा संशय, दो आँसू, मैं न देख सका, हो गया जो, एक दिन था, किन्नर(जीतू), स्वर्ण किन्नरी, मसूरी, देहरादून, वनदेवी, जगजननी, वन देवता, देहरास्मृति,भ्रातृ-द्वितीया, राखी, अंतर की मुरली, अमृत निर्झर, सफलता रहस्य, शैशव स्मृति, शंभू के प्रति कुंवरी स्मृति, सुन्दरी आई, अछरियाँ, गिरि वर, मेघदूत, ज्योतिधान, मैं ही अकेला, किन्नरियाँ, कविते, जीवन वन, पवि वर्षण, स्वप्न में माँ, विदाई, मेरे लिए, मंदाकिनी, और इस संकलन की अंतिम कविता 'जीतू' है जो सबसे लंबी कविता (324 पंक्तियाँ) भी है ।
(यह जानकारी अशोक कुमार शुक्ला द्वारा संकलित की गई है)