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"मुझसे इतना भय था / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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एक दिन बैरक के पीछे टहलते-टहलते
 
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देखा अचानक
 
देखा अचानक
 
 
सेल की छत पर बैठा लंगूरों का पूरा परिवार
 
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एक बच्चा लंगूर
 
एक बच्चा लंगूर
 
  
 
ठिठक गया
 
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बहुत दिन बाद आज देखा था नया चहरा
 
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ज़माना हो गया था कुत्ता देखे बिल्ली देखे
 
ज़माना हो गया था कुत्ता देखे बिल्ली देखे
 
 
ज़माना हो गया बच्चा देखे
 
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सो ठिठक गया पेड़ के पास
 
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देखता रहा सेल की छत पर
 
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बिखरा हुआ लंगूरों का पूरा परिवार
 
बिखरा हुआ लंगूरों का पूरा परिवार
 
 
एक बच्चा लंगूर
 
एक बच्चा लंगूर
 
 
सुबह सुबह की धूप तापते
 
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जैसे ही लंगूरों ने देखा मुझको
 
जैसे ही लंगूरों ने देखा मुझको
 
 
सारा घर परिवार समेटा और भागे पूरब
 
सारा घर परिवार समेटा और भागे पूरब
 
 
भागे
 
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छाती से बच्चा चिपकाए
 
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छलाँगती भागी लंगूर माँ
 
छलाँगती भागी लंगूर माँ
 
 
मुड़ी भी नहीं एक बार
 
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अस्त हो गया दीवारों के पार
 
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पूरा परिवार
 
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मुझसे इतना भय था!
 
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13:39, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

एक दिन बैरक के पीछे टहलते-टहलते
देखा अचानक
सेल की छत पर बैठा लंगूरों का पूरा परिवार
एक बच्चा लंगूर

ठिठक गया
बहुत दिन बाद आज देखा था नया चहरा
ज़माना हो गया था कुत्ता देखे बिल्ली देखे
ज़माना हो गया बच्चा देखे

सो ठिठक गया पेड़ के पास
देखता रहा सेल की छत पर
बिखरा हुआ लंगूरों का पूरा परिवार
एक बच्चा लंगूर
सुबह सुबह की धूप तापते

जैसे ही लंगूरों ने देखा मुझको
सारा घर परिवार समेटा और भागे पूरब
भागे

छाती से बच्चा चिपकाए
छलाँगती भागी लंगूर माँ
मुड़ी भी नहीं एक बार
अस्त हो गया दीवारों के पार
पूरा परिवार

मुझसे इतना भय था!