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"सवर्णों के प्रति / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर
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22:42, 2 मार्च 2011 के समय का अवतरण
(कविता का एक अंश)
लाखों वर्षो से अछूत पैरों के नीचे,
दबे तुम्हारे, हाय-हाय कर रोते हैं,
तुम्हें दया कुछ नहीं, तुम्हारे कुटिल पदों को
देखो वे अपने शोणित के जल से धोते हैं ।