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"प्रस्ताव / अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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कल क्यों  
 
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आज क्यों नहीं ?  
 
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यह मत समझो  
 
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हमारे लिए आएगा कोई दिन  
 
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इससे अच्छा  
 
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कल या परसों  
 
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आज तो कम से कम हम घूम सकते हैं  
 
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सड़कों पर साथ-साथ  
 
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आज तो कम से कम मेरे पास एक कमरा है  
 
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किराए का  
 
किराए का  
 
 
और जेब में कुछ पैसे भी हैं  
 
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हो सकता है कल का दिन और भी ख़राब हो  
 
हो सकता है कल का दिन और भी ख़राब हो  
 
 
इस सूखे रेत को पार करते-करते कौन जाने  
 
इस सूखे रेत को पार करते-करते कौन जाने  
 
 
बाढ़ में डूब जाए सोन का यह पाट  
 
बाढ़ में डूब जाए सोन का यह पाट  
 
  
 
कल खाली थी बन्दूकें  
 
कल खाली थी बन्दूकें  
 
 
आज उनमें गोलियाँ भरी हैं  
 
आज उनमें गोलियाँ भरी हैं  
 
 
कल फिर वे खाली हो सकती हैं  
 
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कल क्यों ?  
 
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आज क्यों नहीं ?
 
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13:14, 5 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

कल क्यों
आज क्यों नहीं ?

यह मत समझो
हमारे लिए आएगा कोई दिन
इससे अच्छा
कल या परसों

आज तो कम से कम हम घूम सकते हैं
सड़कों पर साथ-साथ
आज तो कम से कम मेरे पास एक कमरा है
किराए का
और जेब में कुछ पैसे भी हैं
हो सकता है कल का दिन और भी ख़राब हो
इस सूखे रेत को पार करते-करते कौन जाने
बाढ़ में डूब जाए सोन का यह पाट

कल खाली थी बन्दूकें
आज उनमें गोलियाँ भरी हैं
कल फिर वे खाली हो सकती हैं

कल क्यों ?
आज क्यों नहीं ?