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"विनय कर रही / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल" के अवतरणों में अंतर

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'''विनय कर रही'''  
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कहा दयामय ईश्वर ने,
 
कहा दयामय ईश्वर ने,
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प्रिय से मिलना
 
प्रिय से मिलना
 
और हृदय की व्यथा मिटाना’
 
और हृदय की व्यथा मिटाना’
(विनय कर रही कविता का अंश)
 
 
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21:20, 7 मार्च 2011 के समय का अवतरण

कविता का एक अंश ही उपलब्ध है । शेषांश आपके पास हो तो कृपया जोड़ दें या कविता कोश टीम को भेज दें
 
कहा दयामय ईश्वर ने,
‘ओ पीड़ित नारी !
मुझे ज्ञात है व्यथा तुम्हारे उर की सारी,
तुम कल शाम नदी के
निर्जन तट पर जाना
प्रिय से मिलना
और हृदय की व्यथा मिटाना’