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"अब अगर आओ तो / जावेद अख़्तर" के अवतरणों में अंतर
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मैंने पलकों पे तमन्नाएँ सजा रखी हैं | मैंने पलकों पे तमन्नाएँ सजा रखी हैं | ||
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तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना | तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना | ||
अब तुम आना जो तुम्हें मुझसे मुहब्बत है कोई | अब तुम आना जो तुम्हें मुझसे मुहब्बत है कोई | ||
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18:57, 30 मार्च 2010 के समय का अवतरण
अब अगर आओ तो जाने के लिए मत आना
सिर्फ एहसान जताने के लिए मत आना
मैंने पलकों पे तमन्नाएँ सजा रखी हैं
दिल में उम्मीद की सौ शम्मे जला रखी हैं
ये हसीं शम्मे बुझाने के लिए मत आना
प्यार की आग में जंजीरें पिघल सकती हैं
चाहने वालों की तक़दीरें बदल सकती हैं
तुम हो बेबस ये बताने के लिए मत आना
अब तुम आना जो तुम्हें मुझसे मुहब्बत है कोई
मुझसे मिलने की अगर तुमको भी चाहत है कोई
तुम कोई रस्म निभाने के लिए मत आना