भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ईंधन / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
}}  
 
}}  
 
{{KKCatNazm}}
 
{{KKCatNazm}}
 +
<poem>
 
छोटे थे, माँ उपले थापा करती थी
 
छोटे थे, माँ उपले थापा करती थी
 
हम उपलों पर शक्लें गूँधा करते थे
 
हम उपलों पर शक्लें गूँधा करते थे
पंक्ति 28: पंक्ति 29:
 
आज की रात इस वक्त के जलते चूल्हे में
 
आज की रात इस वक्त के जलते चूल्हे में
 
इक दोस्त का उपला और गया !
 
इक दोस्त का उपला और गया !
 +
 +
......................................................................
 +
'''[[इन्धन / गुलजार / सुमन पोखरेल|यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ ।]]'''
 +
 
</poem>
 
</poem>

14:49, 10 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण

छोटे थे, माँ उपले थापा करती थी
हम उपलों पर शक्लें गूँधा करते थे
आँख लगाकर - कान बनाकर
नाक सजाकर -
पगड़ी वाला, टोपी वाला
मेरा उपला -
तेरा उपला -
अपने-अपने जाने-पहचाने नामों से
उपले थापा करते थे

हँसता-खेलता सूरज रोज़ सवेरे आकर
गोबर के उपलों पे खेला करता था
रात को आँगन में जब चूल्हा जलता था
हम सारे चूल्हा घेर के बैठे रहते थे
किस उपले की बारी आयी
किसका उपला राख हुआ
वो पंडित था -
इक मुन्ना था -
इक दशरथ था -
बरसों बाद - मैं
श्मशान में बैठा सोच रहा हूँ
आज की रात इस वक्त के जलते चूल्हे में
इक दोस्त का उपला और गया !

......................................................................
यहाँ क्लिक गरेर यस कविताको नेपाली अनुवाद पढ्न सकिन्छ ।