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− | नाथ निरंजन आरती साजै | + | नाथ निरंजन आरती साजै । |
− | गुरु के सबदूं झालरि बाजे | + | गुरु के सबदूं झालरि बाजे ।। |
− | अनहद नाद गगन में गाजै, परम जोति तहाँ आप विराजै | + | अनहद नाद गगन में गाजै, परम जोति तहाँ आप विराजै । |
− | दीपक जोति अषडत बाती, परम जोति जगै दिन राती | + | दीपक जोति अषडत बाती, परम जोति जगै दिन राती । |
− | सकल भवन उजियारा होई, देव निरंजन और न कोई | + | सकल भवन उजियारा होई, देव निरंजन और न कोई । |
− | अनत कला जाकै पार न पावै, संष मृदंग धुनि बैनि बजावै | + | अनत कला जाकै पार न पावै, संष मृदंग धुनि बैनि बजावै । |
− | स्वाति बूँद लै कलस बन्दाऊँ, निरति सुरति लै पहुप चढाऊँ | + | स्वाति बूँद लै कलस बन्दाऊँ, निरति सुरति लै पहुप चढाऊँ । |
− | निज तत नांव अमूरति मूरति, सब देवां सिरि उद्बुदी सूरति | + | निज तत नांव अमूरति मूरति, सब देवां सिरि उद्बुदी सूरति । |
− | आदिनाथ नाती मछ्न्द्र ना पूता, आरती करै गोरष ओधूता | + | आदिनाथ नाती मछ्न्द्र ना पूता, आरती करै गोरष ओधूता । |
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19:04, 3 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
नाथ निरंजन आरती साजै ।
गुरु के सबदूं झालरि बाजे ।।
अनहद नाद गगन में गाजै, परम जोति तहाँ आप विराजै ।
दीपक जोति अषडत बाती, परम जोति जगै दिन राती ।
सकल भवन उजियारा होई, देव निरंजन और न कोई ।
अनत कला जाकै पार न पावै, संष मृदंग धुनि बैनि बजावै ।
स्वाति बूँद लै कलस बन्दाऊँ, निरति सुरति लै पहुप चढाऊँ ।
निज तत नांव अमूरति मूरति, सब देवां सिरि उद्बुदी सूरति ।
आदिनाथ नाती मछ्न्द्र ना पूता, आरती करै गोरष ओधूता ।