अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=संतोष अलेक्स |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <Poem> सब्ज़ी वाले ने…) |
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वैसी ही अठन्नी | वैसी ही अठन्नी | ||
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मुझे याद आया कि | मुझे याद आया कि | ||
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आज अठन्नी कोई नहीं लेता | आज अठन्नी कोई नहीं लेता | ||
भिखारी भी | भिखारी भी | ||
− | कैमिस्ट भी लौटाते हैं अठन्नी की जगह एक टॉफ़ी | + | कैमिस्ट भी लौटाते हैं अठन्नी की जगह |
+ | बस, एक टॉफ़ी | ||
− | नहीं अब मैं इसे कहीं खर्च नहीं करूँगा | + | नहीं, अब मैं इसे कहीं खर्च नहीं करूँगा |
अठन्नी की असली कीमत जानता हूँ मैं | अठन्नी की असली कीमत जानता हूँ मैं | ||
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+ | '''अनुवाद : अनिल जनविजय''' | ||
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20:04, 15 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
सब्ज़ी वाले ने जो चिल्लर लौटाई
एक अठन्नी भी थी उसमें
वैसी ही अठन्नी
जैसी अम्मा ने दी थी मुझे
विष्णु पर चढ़ाने को
मुझे याद आया कि
उस अठन्नी को लेकर भागा था मैं
खरीदने मिठाई
आज अठन्नी कोई नहीं लेता
भिखारी भी
कैमिस्ट भी लौटाते हैं अठन्नी की जगह
बस, एक टॉफ़ी
नहीं, अब मैं इसे कहीं खर्च नहीं करूँगा
अठन्नी की असली कीमत जानता हूँ मैं
अनुवाद : अनिल जनविजय