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"शब्दकोश / संतोष अलेक्स" के अवतरणों में अंतर

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मैंने काग़ज़ पर कलम रखा
 
मैंने काग़ज़ पर कलम रखा
 
और शब्द ग़ायब हो गए
 
और शब्द ग़ायब हो गए
 
चले गए कहीं
 
चले गए कहीं
तब मैंने छोड़ दिया उन्हें उनकी इच्छा पर
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और मैंने भी छोड़ दिया उन्हें उनकी इच्छा पर
  
जब सवेरे अख़बार उठाया
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पर सवेरे अख़बार उठाया जब
तो एक शब्द को उसमें छिपा पाया
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तो एक शब्द को मैंने उसमें छिपा पाया
 
कुछ शब्द सुनाई दिए सेटलाइट चैनल पर
 
कुछ शब्द सुनाई दिए सेटलाइट चैनल पर
 
और कुछ मिले समकालीन पत्रिकाओं में
 
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वे फिसल गए मेरे हाथ से
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फिसल गए वे मेरे हाथ से
 
जब शाम को  
 
जब शाम को  
 
मैंने उन्हें पकड़ने की कोशिश की
 
मैंने उन्हें पकड़ने की कोशिश की

22:33, 10 मई 2011 के समय का अवतरण

मैंने काग़ज़ पर कलम रखा
और शब्द ग़ायब हो गए
चले गए कहीं
और मैंने भी छोड़ दिया उन्हें उनकी इच्छा पर

पर सवेरे अख़बार उठाया जब
तो एक शब्द को मैंने उसमें छिपा पाया
कुछ शब्द सुनाई दिए सेटलाइट चैनल पर
और कुछ मिले समकालीन पत्रिकाओं में

फिसल गए वे मेरे हाथ से
जब शाम को
मैंने उन्हें पकड़ने की कोशिश की

पर जब बच्चों को पढ़ाने बैठा
तो वे फिर झाँकने लगे
शब्दकोश से निकलकर
अपने नए और विचित्र अर्थों के साथ ।
 
अनुवाद : अनिल जनविजय