और शब्द ग़ायब हो गए
चले गए कहीं
तब और मैंने भी छोड़ दिया उन्हें उनकी इच्छा पर
जब पर सवेरे अख़बार उठायाजबतो एक शब्द को मैंने उसमें छिपा पाया
कुछ शब्द सुनाई दिए सेटलाइट चैनल पर
और कुछ मिले समकालीन पत्रिकाओं में
वे फिसल गए वे मेरे हाथ से
जब शाम को
मैंने उन्हें पकड़ने की कोशिश की