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"इसी पृथ्वी पर / शरद रंजन शरद" के अवतरणों में अंतर
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इसी पृथ्वी पर | इसी पृथ्वी पर | ||
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इतने सारे जीव | इतने सारे जीव | ||
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आदमी पशु-पक्षी कीट-पतंग | आदमी पशु-पक्षी कीट-पतंग | ||
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जीवन के ढेर सारे रंग | जीवन के ढेर सारे रंग | ||
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पृथ्वी पर ही | पृथ्वी पर ही | ||
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पहाड़ पानी आग | पहाड़ पानी आग | ||
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उसकी मिट्टी और आकाश | उसकी मिट्टी और आकाश | ||
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इसी पर | इसी पर | ||
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बारिश में जैसे छाता ताने हुए | बारिश में जैसे छाता ताने हुए | ||
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ग्रह नक्षत्र | ग्रह नक्षत्र | ||
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बिखरी आकाशगंगा | बिखरी आकाशगंगा | ||
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घेरता अनन्त | घेरता अनन्त | ||
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यहीं पुण्य और पाप | यहीं पुण्य और पाप | ||
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जन्म इसी पर | जन्म इसी पर | ||
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यहीं अवसान | यहीं अवसान | ||
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इसी धरणी को | इसी धरणी को | ||
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सिर आँखों पर बिठाये शेषनाग | सिर आँखों पर बिठाये शेषनाग | ||
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अगोरे दिकपाल | अगोरे दिकपाल | ||
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गिरे नहीं फिर भी | गिरे नहीं फिर भी | ||
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झुके नहीं इसका माथ | झुके नहीं इसका माथ | ||
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थामे हुए इसको | थामे हुए इसको | ||
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गर्भ से ही अनवरत | गर्भ से ही अनवरत | ||
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मेरे दो हाथ। | मेरे दो हाथ। |
21:21, 15 मई 2011 के समय का अवतरण
इसी पृथ्वी पर
इतने सारे जीव
आदमी पशु-पक्षी कीट-पतंग
जीवन के ढेर सारे रंग
पृथ्वी पर ही
पहाड़ पानी आग
उसकी मिट्टी और आकाश
इसी पर
बारिश में जैसे छाता ताने हुए
ग्रह नक्षत्र
बिखरी आकाशगंगा
घेरता अनन्त
यहीं पुण्य और पाप
जन्म इसी पर
यहीं अवसान
इसी धरणी को
सिर आँखों पर बिठाये शेषनाग
अगोरे दिकपाल
गिरे नहीं फिर भी
झुके नहीं इसका माथ
थामे हुए इसको
गर्भ से ही अनवरत
मेरे दो हाथ।