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"उन्हें शिकायत है / योगेंद्र कृष्णा" के अवतरणों में अंतर
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उन्हें शिकायत है शायद | उन्हें शिकायत है शायद | ||
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कि बहुत-बहुत दिनों से मैंने | कि बहुत-बहुत दिनों से मैंने | ||
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कुछ कहा नहीं | कुछ कहा नहीं | ||
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कुछ सुना नहीं… | कुछ सुना नहीं… | ||
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बहुत कम शब्द | बहुत कम शब्द | ||
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दरअसल ऐसे थे | दरअसल ऐसे थे | ||
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जो मेरी बात कह पाते | जो मेरी बात कह पाते | ||
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बहुत कम कहा ऐसा था | बहुत कम कहा ऐसा था | ||
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जो हम सुन पाते | जो हम सुन पाते | ||
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इस पृथ्वी पर | इस पृथ्वी पर | ||
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बहुत कम जगह ऐसी थी | बहुत कम जगह ऐसी थी | ||
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जहां ये कहा और सुना | जहां ये कहा और सुना | ||
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एक साथ रह पाते | एक साथ रह पाते | ||
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एक-दूसरे को सह पाते | एक-दूसरे को सह पाते | ||
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अगर सचमुच हम कह पाते | अगर सचमुच हम कह पाते | ||
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तो बस एक बंजर-सा | तो बस एक बंजर-सा | ||
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रेगिस्तान था फैला हुआ | रेगिस्तान था फैला हुआ | ||
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पूरे वितान पर | पूरे वितान पर | ||
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अगर वो सचमुच समझ पाते | अगर वो सचमुच समझ पाते | ||
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तो न कोई गम था वहां | तो न कोई गम था वहां | ||
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और न कोई खुशी थी शायद | और न कोई खुशी थी शायद | ||
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बस एक पल था | बस एक पल था | ||
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जिसमें पूरा का पूरा | जिसमें पूरा का पूरा | ||
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एक युग था | एक युग था | ||
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एक शून्य था केवल | एक शून्य था केवल | ||
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जिसमें पूरा का पूरा | जिसमें पूरा का पूरा | ||
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एक जहां था मुकम्मल | एक जहां था मुकम्मल | ||
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समाया हुआ | समाया हुआ | ||
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इसीलिए तो शायद | इसीलिए तो शायद | ||
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वहां न कोई शब्द था | वहां न कोई शब्द था | ||
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21:27, 24 मई 2011 के समय का अवतरण
उन्हें शिकायत है शायद
कि बहुत-बहुत दिनों से मैंने
कुछ कहा नहीं
कुछ सुना नहीं…
बहुत कम शब्द
दरअसल ऐसे थे
जो मेरी बात कह पाते
बहुत कम कहा ऐसा था
जो हम सुन पाते
इस पृथ्वी पर
बहुत कम जगह ऐसी थी
जहां ये कहा और सुना
एक साथ रह पाते
एक-दूसरे को सह पाते
अगर सचमुच हम कह पाते
तो बस एक बंजर-सा
रेगिस्तान था फैला हुआ
पूरे वितान पर
अगर वो सचमुच समझ पाते
तो न कोई गम था वहां
और न कोई खुशी थी शायद
बस एक पल था
जिसमें पूरा का पूरा
एक युग था
एक शून्य था केवल
जिसमें पूरा का पूरा
एक जहां था मुकम्मल
समाया हुआ
इसीलिए तो शायद
वहां न कोई शब्द था
और न था कोई स्वर…