भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मेरी बारी / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उदयप्रकाश }} पाँच साल से मरे हुए दोस्त को चिट्ठी डाली ...)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=उदयप्रकाश
+
|रचनाकार=उदय प्रकाश
 +
|संग्रह= अबूतर कबूतर / उदय प्रकाश
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 
+
<poem>
 
पाँच साल से
 
पाँच साल से
 
 
मरे हुए दोस्त को
 
मरे हुए दोस्त को
 
 
चिट्ठी डाली आज
 
चिट्ठी डाली आज
 
  
 
जवाब आयेगा
 
जवाब आयेगा
 
 
एक दिन
 
एक दिन
 
  
 
कभी भी
 
कभी भी
 
  
 
सीढ़ी, शोर,
 
सीढ़ी, शोर,
 
 
टेबिल, टेलिफ़ोन से भरे
 
टेबिल, टेलिफ़ोन से भरे
 
 
भवन की
 
भवन की
 
 
किसी भी एक
 
किसी भी एक
 
 
मेज़ पर
 
मेज़ पर
 
 
मरा हुआ
 
मरा हुआ
 
  
 
मैं उसे पढ़ते हुए
 
मैं उसे पढ़ते हुए
 
 
हँसूँगा
 
हँसूँगा
 
  
 
कि लो,
 
कि लो,
 
 
आख़िर मैं भी !
 
आख़िर मैं भी !
 +
</poem>

23:41, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

पाँच साल से
मरे हुए दोस्त को
चिट्ठी डाली आज

जवाब आयेगा
एक दिन

कभी भी

सीढ़ी, शोर,
टेबिल, टेलिफ़ोन से भरे
भवन की
किसी भी एक
मेज़ पर
मरा हुआ

मैं उसे पढ़ते हुए
हँसूँगा

कि लो,
आख़िर मैं भी !