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"मेरी बारी / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

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पाँच साल से
 
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मरे हुए दोस्त को
 
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चिट्ठी डाली आज
 
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जवाब आयेगा
 
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एक दिन
 
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कभी भी
 
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सीढ़ी, शोर,
 
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टेबिल, टेलिफ़ोन से भरे
 
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किसी भी एक
 
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मरा हुआ
 
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मैं उसे पढ़ते हुए
 
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कि लो,
 
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आख़िर मैं भी !
 
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23:41, 10 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

पाँच साल से
मरे हुए दोस्त को
चिट्ठी डाली आज

जवाब आयेगा
एक दिन

कभी भी

सीढ़ी, शोर,
टेबिल, टेलिफ़ोन से भरे
भवन की
किसी भी एक
मेज़ पर
मरा हुआ

मैं उसे पढ़ते हुए
हँसूँगा

कि लो,
आख़िर मैं भी !